धर्म का विलोम शब्द अधर्म होता हैं। धर्म एक ऐसी व्यवस्था है जो मानव जाति के आदर्शों, नैतिकता, आचार-व्यवहार, जीवन दर्शन और व्यक्तिगत विकास की आधारशिला के रूप में कार्य करती है।
विश्व के विभिन्न संस्कृतियों और समुदायों में अनेक प्रकार के धर्म प्रचलित हैं, जैसे हिन्दूधर्म, इस्लाम, बौद्धधर्म, यहूदीधर्म, ईसाईधर्म, सिखधर्म, जैनधर्म, जगन्नाथधर्म आदि।
इन सभी धर्मों में हर एक का अपना अनुयाय, सिद्धांत और अद्यात्मवाद होता है जो उनके जीवन को आदर्शमय बनाने का प्रयास करता है।
धर्म का विलोम शब्द क्या होता है
प्रश्न: धर्म का विलोम शब्द क्या होगा?
(अ) नीति
(ब) अधर्म
(स) मज़हब
(द) पुण्य
उत्तर: (ब) अधर्म
धर्म का अर्थ क्या है?
धर्म मनुष्य के जीवन को मार्गदर्शन करने, आदर्शों और मूल्यों को स्थापित करने, आध्यात्मिकता और नैतिकता को समर्थन करने, सामाजिक संरचना को स्थापित करने और मानवीय संबंधों को सुधारने का एक माध्यम है।
धर्म शब्द का वाक्य में प्रयोग
- सभी धर्मों की मूल उपयोगिता मनुष्य के आत्मिक विकास और सामाजिक समृद्धि में समाहित है।
- विवेक धर्म का महत्वपूर्ण अंग है, जो हमें अच्छा और बुरा विचार करने की सामर्थ्य प्रदान करता है।
- माधव अपने जीवन में ईमानदारी, सत्यनिष्ठा और सहानुभूति को अपने धर्म का महत्वपूर्ण हिस्सा मानता है।
- समाज में धार्मिक सद्भाव और सम्मान का वातावरण सम्प्रदायों के अलावा और भी अधिक एकता और शांति की स्थापना करता है।
- धर्म मानवीय सम्बंधों में आदर्श बनाकर और सामाजिक न्याय को स्थापित करके समाज को समृद्ध, सुरक्षित और स्थिर बनाने का प्रयास करता है।
धर्म का पर्यायवाची शब्द
धर्म के कुछ पर्यायवाची शब्द हैं:
- दीन
- ईमान
- संप्रदाय
- अकीदा
- स्वभाव
- वाद
- पुण्य
- मज़हब
- नीति
धर्म शब्द से सम्बंधित प्रश्न
Q. धर्म का विलोम शब्द क्या है संस्कृत में?
Ans: धर्म का विलोम शब्द संस्कृत में अधर्म होता हैं।
Q. धर्म शब्द का अर्थ क्या है?
Ans: धर्म शब्द का अर्थ होता है “नियम” या “आचरण”।
Q. धर्म का क्या महत्व है?
Ans: धर्म मानव सभ्यता के लिए एक महत्वपूर्ण तत्त्व है। यह न केवल व्यक्ति के आत्मिक विकास को प्रोत्साहित करता है, बल्कि सामाजिक समृद्धि और सामरिकता को भी स्थापित करता है।
सारांश
धर्म के विभिन्न पहलुओं में आचरण, पूजा, प्रार्थना, योग, मेधावीता, सेवा, संयम, त्याग, ध्यान और स्वाध्याय शामिल होते हैं।
इन साधनाओं के माध्यम से मनुष्य अपने मन, शरीर और आत्मा को विकसित करता है और आध्यात्मिक उन्नति का अनुभव करता है।